अनुराग कश्यप की हालिया फ़िल्म ‘चोक्ड’ के साथ ‘गुलाबो सिताबो’ को रखकर देखें, तो यही लगता है कि हमारे दौर की विडंबनाओं को कथा में कहना अब लगातार मुश्किल होता जा रहा है.
1950 के दशक के पॉपुलर मेलोड्रामा और नेहरूवियन राजनीति
नेहरु के व्यक्तित्व और उनके विचारों को तथा हिंदुस्तानी सिनेमा में उसके चित्रण को ठीक से समझने के लिए विस्तार से लिखे और पढ़े जाने की ज़रूरत है।
इंडियन रूम: सिनेमाई इतिहास की कुछ परतें
नज़मुल हसन की याद है किसी को? लखनऊ का वही नज़मुल, जो बॉम्बे टॉकीज़ के मालिक हिमांशु रॉय की नज़रों के सामने से उनकी पत्नी और मायानगरी की सबसे खूबसूरत नायिका देविका रानी को उड़ा ले गया था.
Talking Gulzar
When writings on Indian cinema is either confined to stars or based on the imported theories, this book is a great addition.
Cinematic Secularism of Dharmputra
Dharmputra (Yash Chopra, 1961) is one of the most remarkable films that engage with the problematic theme of communalism set against the background of Partition of India.