राज्य का नैतिक लबादा

सवाल यह है कि सरकार विषमता को रोक नहीं पा रही है या फिर रोकना ही नहीं चाहती है. या, फिर वही इस पूरी प्रक्रिया का प्रबंधन कर रही है या उसने देश की किस्मत वैश्विक और घरेलू कंपनियों के भरोसे छोड़ दिया है?

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