अब जब क़ानून रद्दी में फेंके जा रहे हैं, तो सरकार के समर्थक पत्रकारों की प्रतिक्रिया देखना दिलचस्प है.
अब जब क़ानून रद्दी में फेंके जा रहे हैं, तो सरकार के समर्थक पत्रकारों की प्रतिक्रिया देखना दिलचस्प है.
साहित्यकार के रूप में नरेंद्र मोदी के आकलन की एक कोशिश