बारह किस्सों की यह किताब किस्सा तो है ही, वह इतिहास, समाजशास्त्रीय अध्ययन और सांस्कृतिक रिपोर्ट भी है. वह बहुत गहरे कहीं टीसती बेचैनी का त्रासद काव्य भी है.
फ़िलीस्तीन से नाता तोड़ने का संकेत
संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक एवं सामाजिक परिषद में इज़रायल के पक्ष में भारत का मतदान करना एक असाधारण घटना है.
भारतीय छात्र: रियल इस्टेट, कोचिंग बिज़नेस
देश में कोचिंग और परीक्षा तैयारी केंद्रों का सालाना बिज़नेस 49,400 करोड़ (सात अरब डॉलर) का है.
The idea of ‘Soft Power’ As A Dangerous Nonsense
Soft Power! Is it something?
सीईओ का सालाना वेतन = मज़दूर के 941 साल
इस भयानक अनैतिक समय में हम यह आग्रह भी नहीं रख सकते कि पैसा कमाने का नैतिक रास्ता क्या है.
Prof. Sen! Modi’s also won the battle of ideas.
A comment on Prof Amartya Sen’s article published in the NYT
मर्डोक मीडिया और ऑस्ट्रेलिया का चुनाव
क्या कोई राजनेता रूपर्ट मर्डोक के साम्राज्य से लोहा ले सकता है और जीत सकता है?
दार्शनिक पृष्ठभूमि महत्वपूर्ण
प्रश्न शंकराचार्य को मानने या न मानने का नहीं है, आवश्यकता उनकी पद्धति, प्रणाली और प्रक्रिया से परिचय की है.
‘व्हाट [इज़] द हेल!
मर ख़य्याम ने पाया कि उनकी रूह ही ज़न्नत और जहन्नुम है.
Not to beg mercy of the darkness
Uday Prakash is arguably one the most prolific, widely read and controversial writers whose works have been translated in many Indian and foreign languages.
लिबरल सरलीकरण है आतिश तासीर का लेख
भारतीय दक्षिणपंथ की सोच और हरकतें पोंज़ी फ़्रॉड की तरह होती हैं.
अपने ही जाल में उलझा भोजपुरी सिनेमा
जैसे बिहार और पूर्वांचल की राजनीति पिछड़ेपन, भ्रष्टाचार और अन्याय के मुद्दों पर बतकही से चलती है, वैसे ही भोजपुरी सिनेमा की विषय-वस्तु भी इन मुद्दों को सतही तरीके से अभिव्यक्त करती है.
वी. शांताराम: भारतीय सिनेमा के अण्णा साहेब
शांताराम की उपलब्धियों और उनके महत्व का आकलन ठीक से तभी हो सकता है, जब हम उनकी फिल्मों के साथ-साथ सिनेमाई इतिहास में उनके योगदान को हर आयाम से समझने का प्रयास करें.
लाहौरवाले दाता गंज बख़्श
अजमेर के महान सूफ़ी हज़रत मोईनुद्दीन चिश्ती ने लाहौर के सूफ़ी दाता गंज बख़्श साहिब के बारे में कहा था – “गंज बख़्श-ए-फ़ैज़-ए-आलम, मज़हर-ए-नूर-ए-ख़ुदा / नक़ीसान रा पीर-ए-कामिल, कामिलान रा रहनुमा”.
Purulia Arms Dropping: All Botched Up
On the night of 17-18 December, 1995, a foreign plane, with all foreign occupants, named AN-26 dropped a huge consignment of weapons in the fields of West Bengal’s Purulia. Nothing like that had happened before and nothing like that has happened till date.
पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा क्यों नहीं
सरकारी आंकड़ों के हवाले से रिपोर्टों में बताया गया है कि देश में क़रीब 19 लाख बसें हैं, जिनमें से 2.8 लाख राजकीय परिवहन विभागों/निगमों द्वारा चालित हैं या उन्हें परिचालन का परमिट है. सरकार का आकलन है कि आम यात्रियों की ज़रूरत पूरी करने के लिए कम-से-कम 30 लाख बसें चाहिए.
Talking Gulzar
When writings on Indian cinema is either confined to stars or based on the imported theories, this book is a great addition.
अकथ कहानी प्रेम की
यह किताब कबीर को एक नयी रौशनी में समझने की दृष्टि तो देती ही है, साथ ही अबतक की हमारी ऐतिहासिक समझदारी को भी झकझोर देती है.
राजीव गांधी और राजनीति के पेंच
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कामकाज पर बहुत कुछ अच्छा और ख़राब कहा जा सकता है, लेकिन इस सच से कोई इनकार नहीं कर सकता है कि प्रधानमंत्री के रूप में उन्हें कई त्रासदियों से गुज़रना पड़ा.
Pearls from Khusrau
A good collection of Amir Khusrau’ work must be a part of any decent personal or public library.