By 1930, the national movement entered into a phase of intense activity, and from 1931, Indian films started to speak in various languages.
मंटो के नाम ख़त: वो बात उनको बहुत नागवार गुजरी है
अगर हमारे नेता तुम्हारी तस्वीर पर फूल-माला चढ़ाते तो क्या तुम्हें अच्छा लगता!
‘नया दौर’ और 1957 का साल
'नया दौर' के तेवर और उसकी बहुआयामी राजनीति उन समझदारियों को ख़ारिज़ करते हैं, जिनका मानना है कि मेलोड्रामाई पॉपुलर सिनेमा अराजनीतिक होता है और पारंपरिक मूल्यों को अपने स्टिरीयो-टाइप फॉर्मूले में ढोता है.
जनगणना में हिंदी व अन्य भाषाएं
जनगणना (2011) के अनुसार, सवा सौ करोड़ के भारत में 19,569 भाषाएँ और बोलियाँ मातृभाषा के रूप में बोली जाती हैं.
इंडियन रूम: सिनेमाई इतिहास की कुछ परतें
नज़मुल हसन की याद है किसी को? लखनऊ का वही नज़मुल, जो बॉम्बे टॉकीज़ के मालिक हिमांशु रॉय की नज़रों के सामने से उनकी पत्नी और मायानगरी की सबसे खूबसूरत नायिका देविका रानी को उड़ा ले गया था.
अब मज़दूर दिवस भयंकर विफलता और धोखेबाज़ी का शोक दिवस होना चाहिए
एक और बात से मुझे एलर्जी है- मज़दूरों से क्रांति या विरोध की उम्मीद करना. ऐसा कभी इतिहास में नहीं हुआ है.
नशे के हवाले से कुछ फूटकर टिप्पणियाँ
जिन बातों का सबसे ज़्यादा ख़्याल रखना चाहिए, वहीं बातें बहस में नहीं होतीं.
तो अजीत अंजुम को भी यूट्यूब पर आना पड़ा!
कहा जा रहा है कि यह उनकी मज़बूरी है क्योंकि उन्हें मेनस्ट्रीम मीडिया से किनारे कर दिया गया है.
बदल जायेंगे अमेरिका-चीन समीकरण
सभी देश, ख़ासकर पश्चिम के धनी देश, आत्ममंथन करें कि इतने विकास के बाद भी वे अपने लोगों को स्वास्थ्य और रोज़गार मुहैया क्यों नहीं करा पाए हैं.
पत्रकार मार्खेस
मार्खेस का पत्रकारों को संदेश- ‘व्यापक सांस्कृतिक पृष्ठभूमि’ का होना, अमानवीयकरण से बचना, ‘पढ़ना’ और तकनीक पर कम निर्भरता.
टीका परंपरा में शानदार योगदान
पौराणिक कथाओं के जाने-माने व्याख्याता और टिप्पणीकार डॉ देवदत्त पटनायक ने तुलसीदास की रचना 'हनुमान चालीसा' की टीका लिखी है.
अधकचरी समझ पर चमगादड़ जैसा लटका मीडिया
प्राचीन रोमन इतिहासकार टैसिटस ने लिखा है कि सत्य को जाँच और देरी से निर्धारित किया जाता है तथा झूठ को जल्दबाज़ी और अनिश्चितता से.
‘मेरे पास बस शहद का एक कटोरा है’
एक मार्क्सवादी मशीन या यंत्र-मानव नहीं, बल्कि हाड़-माँस, स्नायु, मस्तिष्क और ह्रदय से बना एक ऐतिहासिक, सामाजिक, और ठोस मनुष्य होता है.
बिदेसिया हुए पुरखों की कथा
अपनी परनानी सुजरिया का पता खोजती गायत्रा इस यात्रा में हज़ारों सुजरियों से मिलती है...
पितृसत्ता पर जोरदार ‘थप्पड़’
'थप्पड़' पितृसत्ता पर थप्पड़ है, पर हिंसक तेवर के साथ नहीं, हमारी जड़ीभूत संवेदना व चेतना को तर्कों व भावनाओं से झिंझोड़ती हुई.
‘जामताड़ा’ का ऑब्वियस
'जामताड़ा' क्या सिर्फ़ एक क़स्बे की कहानी है, जो डिजिटल इंडिया और कैशलेस इकोनॉमी को पलीता लगाता है...
तरस आता है उस देश पर : दो अनुदित कविताएं
तरस आता है उस देश पर : दो अनुदित कविताएं
राजस्थान में स्वास्थ्य की स्थिति से जुड़े कुछ तथ्य
कुपोषण, बीमारियों व स्वास्थ्य सेवा के मामले में राजस्थान बेहद पिछड़ा राज्य है.
तेज़ाब हमले
होना तो यह चाहिए कि फ़िल्म छपाक के हवाले से ही सही, तेज़ाब से पीड़ित लड़कियों की व्यथा, इस अपराध को रोकने के उपायों, दोषियों को दंडित करने आदि पर चर्चा हो.
देविंदर सिंह के हवाले से
संसद हमले और उससे जुड़े किरदारों के बारे में कुछ भी साफ़ नहीं हो सका है. लगता है, संसद हमला मामला एक कभी न ख़त्म होनेवाली कहानी है. किरदारों का आना-जाना लगा रहेगा…