प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तीन भयावह कृषि क़ानूनों की वापसी की घोषणा किसान आंदोलन की बड़ी जीत है. इस शांतिपूर्ण संघर्ष में सैकड़ों किसानों ने अपना जीवन बलिदान किया है. इस आंदोलन के दौरान किसानों को हर तरह से प्रताड़ित और अपमानित करने की कोशिश हुई. अब जब क़ानून रद्दी में फेंके जा रहे हैं, तो इन क़ानूनों के समर्थक पत्रकारों की प्रतिक्रिया देखना दिलचस्प है. ऐसे कुछ पत्रकारों के ट्वीट देखें-
देश ने छप्पन इंच के सीने वाला पीएम चुना था @narendramodi जी, कुछ के विरोध के सामने, सियासी नफा-नुक़सान देखकर एक बड़े वर्ग के समर्थन के बावजूद झुक जानेवाला पीएम नहीं।
— Sushant Sinha (@SushantBSinha) November 19, 2021
Next is what? Article 370 back?
— Smita Prakash (@smitaprakash) November 19, 2021
शायद गलती उन बिल समर्थक किसानों की है कि वो लोग सड़कों पर नहीं उतरे, उन लोगों ने देश को बंधक नहीं बनाया, अराजकता नहीं फैलाई नहीं बल्कि सरकार पर भरोसा किया। #FarmBills
— Aman Chopra (@AmanChopra_) November 19, 2021
मतलब…हम नहीं मानने के? https://t.co/jmUIcvNQks
— Rubika Liyaquat (@RubikaLiyaquat) November 19, 2021
तीन कृषि क़ानूनों को वापस लेने का फ़ैसले का मैं स्वागत करता हूँ. ये सही है कि इन क़ानूनों को लेकर जो ग़लतफ़हमी पैदा हुई उसे दूर नहीं किया जा सका. ये निर्णय लेने के लिए #GuruPurab से अच्छा दिन और क्या हो सकता था. @narendramodi
— Rajat Sharma (@RajatSharmaLive) November 19, 2021
Climbdown on farm laws could open a pandora's box. What next article 370, CAA?
— Rahul Shivshankar (@RShivshankar) November 19, 2021
PM has repealed #farmlaws in national interest. Anti India 🇮🇳 elements were trying to take advantage of this . #Fact
— Amish Devgan (@AMISHDEVGAN) November 19, 2021
प्रधानमंत्री @narendramodi ने किसानों से क्षमा मांगते हुए कहा कि हमारे में ही कमी रह गई कि कृषि क़ानूनों की ख़ासियत किसानों तक पहुँचा नहीं पाए. आज वक्त किसी को दोष देने का नहीं है. हम कृषि क़ानूनों रद्द करते हैं. https://t.co/Q87oKgD60u
— Chitra Tripathi (@chitraaum) November 19, 2021
Farm laws repeal is the 2nd big retreat by Modi Govt after land acquisition. These expose the limitations of parliamentary majority in a still ticking democracy. Numbers bring arrogance but public opinion still needs to be built.
— Shekhar Gupta (@ShekharGupta) November 19, 2021
कृषि के क्षेत्र में सुधार के लिए मोदी सरकार ने 3 क्रांतिकारी कानून बनाए लेकिन कुछ आंदोलनकारी किसानों के सामने मजबूर होकर यह कानून वापिस लिए गए। सरकार कुछ किसानों को समझाने में नाकामयाब रही।
— Meenakshi Joshi 🇮🇳 (@IMinakshiJoshi) November 19, 2021
क्या अब किसान घर लौटेंगें? #FarmersProtest #farmlaws
किसानों का भविष्य क्या होगा ये तो नहीं पता लेकिन कृषि क़ानून वापस लेकर मोदी ने राजनीति में कईयों का भविष्य बर्बाद ज़रूर कर दिया है।
— Anuraag Muskaan (@anuraagmuskaan) November 19, 2021
😄
#FarmLaws repealed.#CAA #NRC cold storage.#UCC no signs.
— Navika Kumar (@navikakumar) November 19, 2021
What next? 🙄🤔
केंद्र का बड़ा फैसला, तीनो कृषि कानून वापिस लिए गए.. @narendramodi बोले "जो कर रहा हूँ देश के लिए कर रहा हूँ"
— Deepak Chaurasia (@DChaurasia2312) November 19, 2021
देर आयद दुरुस्त आयद ? या
— Romana Isar Khan (@romanaisarkhan) November 19, 2021
बहुत देर कर दी मेहरबाँ आते – आते ?
जीत किसकी हुई है – किसानों की या आंदोलजीवियो की ?
मजबूर सरकार या मजबूत सरकार?
सवालों का अंत नही लेकिन जवाब बस एक है – लोकतंत्र में जनता जनार्दन है 🙏#कृषि_कानून #वापिस#FarmLaws #repealed#kisanandolan
केन्द्र सरकार ने तीनों कृषि क़ानून वापस लेने का फ़ैसला लिया। अच्छे क़ानूनों के बावजूद फैले भ्रम के कारण यह निर्णय लिया गया हैं।
— Suresh Chavhanke “Sudarshan News” (@SureshChavhanke) November 19, 2021
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