राजस्थान में स्वास्थ्य की स्थिति से जुड़े कुछ तथ्य

राजस्थान में स्वास्थ्य की स्थिति से जुड़े कुछ तथ्य:

1- क्षेत्रफल के हिसाब से देश के सबसे बड़े राज्य (10.4%) और आबादी के हिसाब से सातवें सबसे बड़े राज्य राजस्थान की राज्य सरकार के आँकड़ों के अनुसार, 20 फ़ीसदी बच्चों का वज़न कम या बहुत कम है. वर्ष 2015 में यह आँकड़ा 25 फ़ीसदी था.
(दिसंबर, 2017 के सर्वेक्षण पर आधारित सरकार द्वारा फ़रवरी, 2018 में विधानसभा को दी गयी जानकारी)

2- राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2015-16 के अनुसार, राजस्थान में पाँच साल से कम आयु के 35.7 फ़ीसदी बच्चों का वज़न कम पाया गया और 38.4 फ़ीसदी कुपोषित थे. वर्ष 2005-06 के सर्वेक्षण से इसमें कुछ सुधार देखा गया.
(केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा चार जुलाई, 2019 की विज्ञप्ति)

3- भारत में पाँच साल आयु तक के बच्चों की मौत के 68 फ़ीसदी मामलों का कारण कुपोषण है. राजस्थान सबसे अधिक कुपोषित राज्य है. इसके बाद उत्तर प्रदेश, बिहार, असम, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा आदि का स्थान है.
(विभिन्न संस्थाओं द्वारा 1990 से 2017 के बीच का साझा अध्ययन. लांसेट में सितंबर, 2019 में प्रकाशित)

4- राजस्थान में शिशु मृत्यु दर (हर हज़ार में 38) राष्ट्रीय औसत (33) से अधिक है. इस हिसाब से हर साल जन्म लेनेवाले 16.5 लाख शिशुओं में लगभग 62,843 की मौत हो जाती है. देश के कुल शिशु मृत्यु में राजस्थान का हिस्सा आठ फ़ीसदी है. इससे अधिक मृत्यु दर अरुणाचल प्रदेश (42), मध्य प्रदेश (47), असम (44), उत्तर प्रदेश (41), मेघालय (39) और ओडिशा (41) में है.
(2017 के आँकड़ों के आधार पर द इंडियन एक्सप्रेस/जनवरी 4, 2020 की रिपोर्ट)

5- राजस्थान में 53.1 फ़ीसदी महिलाओं में ख़ून की कमी है.
(राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2005-06)

6- राज्य में एक सरकारी एलोपैथिक डॉक्टर पर औसतन 10976 लोगों के उपचार का भार है, जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक के अनुसार यह अनुपात प्रति डॉक्टर एक हज़ार लोग होना चाहिए. अन्य स्वास्थ्य्कर्मियों, ख़ासकर ग्रामीण व क़स्बाई इलाकों में, की भी भारी कमी है.
(मार्च, 2017 तक के आँकड़ों के आधार पर डाउन टू अर्थ की रिपोर्ट)

7- राजस्थान के 70 फ़ीसदी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में सिर्फ़ एक डॉक्टर है.
(आर्थिक समीक्षा, केंद्रीय वित्त मंत्रालय, जुलाई 4, 2019)

8- बीते जुलाई में पेश राज्य के स्वास्थ्य बजट में चिकित्सा, स्वास्थ्य व परिवार कल्याण के लिए 13 हज़ार करोड़ से कुछ ज़्यादा आवंटन हुआ था, जो पिछले बजट से 7.2 फ़ीसदी अधिक था. परंतु, यदि मुद्रास्फीति का हिसाब लगाया जाए, तो यह बढ़त मामूली हो जाती है. कुल बजट में स्वास्थ्य बजट का हिस्सा 5.97 फ़ीसदी रहा था, जबकि पिछले साल के बजट में यह अनुपात 6.16 फ़ीसदी का था.
(जन स्वास्थ्य अभियान के विश्लेषण पर आधारित सबरंग की रिपोर्ट, जुलाई 17, 2019)

9- जून, 2019 में जारी नीति आयोग के स्वास्थ्य सूचकांक में 21 राज्यों में राजस्थान को 16वाँ स्थान मिला था.

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