The duo- Mee & Jey- has transformed that series of weekly posts of being together and enacting playfully in an immense collection and exhibition called I In Togetherness. I consider this series- visually stunning,
निजी क्षेत्र में आरक्षण समय की ज़रूरत है
निजी क्षेत्र में आरक्षण की मांग की वैधता पर विचार करने से पहले यह उल्लेख कर देना ज़रूरी है कि आरक्षण के मसले पर मेरिट, सामान्य श्रेणी या अगड़ों के साथ अन्याय तथा निजी क्षेत्र की स्वायत्तता में बेमानी दख़ल जैसे तर्कों पर फ़ालतू चर्चा का अब कोई मतलब नहीं है.
तपिशे-शौक़ और ख़ुलूस का क़िस्सा
‘उसे सिर्फ़ इतना पता है कि यहाँ समानता नहीं है और वह होनी चाहिए. और इतनी आसान-सी चीज़ का होना क्यों इतना मुश्किल है…!’
A Soofi in the Brothel
How long Sushmas of the GB Road will get customers? Will this place will also be a past like Chawri Bazar soon?
चेहराविहीन दुनिया में कैसे रहा जायेगा!
आगम्बेन ने पूछा है- पॉलिटिक्स की जगह इकोनॉमिक्स को लानेवाले इस सिस्टम को क्या मानवीय कहा जा सकता है और क्या चेहरे, दोस्ती, प्यार जैसे संबंधों को खोने की भरपाई एक एब्सट्रैक्ट और काल्पनिक स्वास्थ्य सुरक्षा से हो सकती है?
रॉबर्ट फ़िस्क: आंखो देखी लिखने वाला पत्रकार
बीते पांच दशकों के अपने सुदीर्घ पेशेवर जीवन में उन्होंने संभवत: हर उस बड़ी घटना को नज़दीक से देखा, जिसने हमारी आज की दुनिया को बनाने-बिगाड़ने में उल्लेखनीय भूमिका निभायी.
नशे के बारे में
शराबबंदी की सनक का एक और पहलू है पारंपरिक मादक पेय पदार्थों पर रोक.
डॉ सर सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती पर ऐतिहासिक दस्तावेज़ों से कुछ विवरण
उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय पर एक फ़िल्म बनाने की फ़िल्म इंडिया की सलाह और उसके लिए धन जुटाने में मदद पर भी हामी भरी थी.
नाराज़गी, नफ़रत और नकार पर टिका है सोशल मीडिया का कारोबार
सोशल मीडिया नाराज़गी से चलता है और आप चाहे जो कुछ कर लें, आप अपने बच्चों को इससे बचा नहीं सकते हैं.
शोले के बहाने
जब 15 अगस्त को शोले रिलीज़ हुई, दीवार मेगा हिट हो चुकी थी और थियेटरों में अब भी जय संतोषी माँ का जलवानुमा थी.
ईश्वर और उनके पैगंबरों को लठैतों की जरूरत नहीं!
सबसे पहले तो यह जानना जरूरी है कि ब्लासफेमी का कोई धार्मिक आधार नहीं है। किसी भी धर्म के मूल ग्रंथों में इस ‘अपराध’ का उल्लेख तक नहीं है।
स्वच्छ ऊर्जा के नाम पर लीथियम की लूट
इस सदी का इतिहास बहुत हद तक व्हाइट गोल्ड यानी लीथियम पर निर्भर करेगा.
जनसंख्या नियंत्रण की पुरानी बकवास
बर्थ कंट्रोल की चिंता एक बहुत पुराना शग़ल है.
On Yash Chopra / यश चोपड़ा के बारे में
यश चोपड़ा के बारे में एक टिप्पणी हिंदी और English में पढ़ने के लिए इन लिंक को चटकाएँ.
दक्षिणपंथी उभार के लिए उदारवादी लापरवाही ज़िम्मेदार
यह एक स्थापित तथ्य है कि उग्र-राष्ट्रवादी और दक्षिणपंथी राजनीति का सामना प्रगतिशील राजनीति के द्वारा ही किया जा सकता है.
ट्रंप के लिए नुक़सानदेह हो सकते हैं बोल्टन के दावे
ट्रंप प्रशासन में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रहे जॉन बोल्टन अपनी किताब में ख़तरनाक दावे कर रहे हैं.
Delhi Crime: ऐसी अपराध कथा जिसमें अपराधियों के लिए जगह ही नहीं है!
पॉपुलर कल्चर और पब्लिक स्फेयर में अपराध कथाओं की एक ख़ास जगह है. इसमें पाठक या दर्शक सिर्फ़ भावनात्मक तौर पर ही प्रतिक्रिया नहीं देता है, बल्कि वह एक गवाह, खोजी और जज की भूमिका में भी होता है.
वेब सीरिज़ में सेक्स और हिंसा
अवांछित, अपमानजनक और अश्लील सामग्री के लिए अकेले सीरिज़ निर्माताओं पर दोष नहीं मढ़ा जा सकता है.
वर्तमान के विद्रूप का चित्रण ‘गुलाबो सिताबो’
अनुराग कश्यप की हालिया फ़िल्म ‘चोक्ड’ के साथ ‘गुलाबो सिताबो’ को रखकर देखें, तो यही लगता है कि हमारे दौर की विडंबनाओं को कथा में कहना अब लगातार मुश्किल होता जा रहा है.
‘जितना अपनी पैंट खोलते हो, उतना ही दिमाग भी खोलो’!
सेक्सुअलिटी की इस तरह की सतही समझ से दमित सेक्सुअलिटी को कुछ होना होता, तो दादा कोंड़के से लेकर भोजपुरी सिनेमा के भौंड़ेपन ने अब तक क्रांति कर दी होती!